तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
होश ना उड़ाओ कान्हा,
तुम ही हो जमाना
तुम ही हो तराना
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
ज़रा याद करो कान्हा,
चंद्रवार से शनिचर एक साथ खाना,
एक साथ खेलना, एक साथ विनोद,
एक साथ अभिनय, एक साथ जुमना
तुम ही हो भड भोले
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
भूल ना जाओ कान्हा,
उस्तादों के परे जब,
नियम - विनियम तोड़े
फलस्वरूप उपदेशकों से
खूब डांट- डपट खाई
तुम ही हो अदम्य सहभागी
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
ज़रा इतिहास के पन्ने पलटो कान्हा,
कक्षा में जब,
ग्वालो संग गोपियों की जोड़ियां बनाई,
निकाली तुमने अपनी "राधा" पूर्व
गोपियों में जो तिरोहित थी
तुम ही हो पुरोहित
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
नयन घुमाओ फिर से कान्हा,
देखो तुम हमारा आमोद
जिस नाटक - नाटिका से उस्ताद - उस्तादिनी,
ग्वालबाल - गोपियों की परिशुध नकले
कर खूब हंसाया
तुम ही हो प्रेशष्क
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
नस्ट पलों को टटोलो कान्हा,
अपने नग्न नेनों से तलाशो
हमारी मित्रता की मीठी सजावट को,
यथार्थ को,
हमारी पराजय को,
हमारे असंख्य निर्माणों को,
कृति- कीर्तयो को
तुम ही हो जीत - हार स्वरूप
सुदामा के ।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
समन्दर की लहरों से बूझो कान्हा,
तुम ही हो अनैतिक
तुम ही हो नैतिक
सुदामा के।
- कृष्ण का कलयुग वाला "सुदामा"।
( निखिल दायमा)
समर्पित : अमित, नारायण,तरुण, गौतम, संदीप, विपुल, यश, सूरज,मनमोहन,जय, खुशाल, अनिकेत, शिवम, अंकित, राहुल, सुरेश, रुशिल, जितेंद्र, ओमप्रकाश, प्रशांत, आशीष, जुगल, कृष्णांशु, प्रियांशु, विकाश, मनीष, पुलकित, भरत (बीपी), नवीन, गिरीश, मितेश, मनोहर, सुजीत, और सभी को कृष्ण जिसने आज को बेहतरीन यादों से भरने के लिए गए हुए आज ( कल) को रंगो व रोशनी से भरदिये। 🙏🙏🙏
मैं तुम्हारा सुदामा।
होश ना उड़ाओ कान्हा,
तुम ही हो जमाना
तुम ही हो तराना
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
ज़रा याद करो कान्हा,
चंद्रवार से शनिचर एक साथ खाना,
एक साथ खेलना, एक साथ विनोद,
एक साथ अभिनय, एक साथ जुमना
तुम ही हो भड भोले
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
भूल ना जाओ कान्हा,
उस्तादों के परे जब,
नियम - विनियम तोड़े
फलस्वरूप उपदेशकों से
खूब डांट- डपट खाई
तुम ही हो अदम्य सहभागी
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
ज़रा इतिहास के पन्ने पलटो कान्हा,
कक्षा में जब,
ग्वालो संग गोपियों की जोड़ियां बनाई,
निकाली तुमने अपनी "राधा" पूर्व
गोपियों में जो तिरोहित थी
तुम ही हो पुरोहित
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
नयन घुमाओ फिर से कान्हा,
देखो तुम हमारा आमोद
जिस नाटक - नाटिका से उस्ताद - उस्तादिनी,
ग्वालबाल - गोपियों की परिशुध नकले
कर खूब हंसाया
तुम ही हो प्रेशष्क
सुदामा के।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
नस्ट पलों को टटोलो कान्हा,
अपने नग्न नेनों से तलाशो
हमारी मित्रता की मीठी सजावट को,
यथार्थ को,
हमारी पराजय को,
हमारे असंख्य निर्माणों को,
कृति- कीर्तयो को
तुम ही हो जीत - हार स्वरूप
सुदामा के ।
तुम मेरे कृष्ण।
मैं तुम्हारा सुदामा।
समन्दर की लहरों से बूझो कान्हा,
तुम ही हो अनैतिक
तुम ही हो नैतिक
सुदामा के।
- कृष्ण का कलयुग वाला "सुदामा"।
( निखिल दायमा)
समर्पित : अमित, नारायण,तरुण, गौतम, संदीप, विपुल, यश, सूरज,मनमोहन,जय, खुशाल, अनिकेत, शिवम, अंकित, राहुल, सुरेश, रुशिल, जितेंद्र, ओमप्रकाश, प्रशांत, आशीष, जुगल, कृष्णांशु, प्रियांशु, विकाश, मनीष, पुलकित, भरत (बीपी), नवीन, गिरीश, मितेश, मनोहर, सुजीत, और सभी को कृष्ण जिसने आज को बेहतरीन यादों से भरने के लिए गए हुए आज ( कल) को रंगो व रोशनी से भरदिये। 🙏🙏🙏